"" Mere Man Kee: Mera Ghar / मेरा घर / My House

बुधवार, 2 सितंबर 2020

Mera Ghar / मेरा घर / My House

Mera-Ghar-My-House

Mera Ghar / मेरा घर / My House


Mera Ghar / मेरा घर /My House


जैसा की मैंने आपको बताया, मेरा जन्म भदोही जिले के एक छोटे से गांव मोहनपुर में हुआ, जो बहुत ही सुंदर और प्रकृति से भरा है। मेरे गाँव की भौगोलिक संरचना कुछ ऐसी है की यह भदोही और इलाहबाद जिले के बिच में है | इलाहाबाद कुछ ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है। यह जगह प्रयाग कुंभ मेला और कई  अन्य सांस्कृतिक विरासत अपने आप में समेटे हुए है | इसे हम तीन धार्मिक स्थानों की त्रिवेणी भी कह सकते है क्योकी हमारे निवास स्थान से प्रयाग नगरी इलाहबाद, बाबा विश्वनाथ धाम, काशी और माँ विंध्यवासिनी, मिर्जापुर की दूरी समान है, और हम इन महापावन स्थानों के केंद्र में बसते है, यह अपने आप में एक सुखदायक अनुभूती देने वाला है, हमारे आसपास तीन धार्मिक तीर्थस्थलो का संगम है | मेरा घर जो कुछ वर्षो पहले मिट्टी का था, अब कई बड़े कमरों  वाली कंक्रीट की एक बड़ी इमारत में तब्दील हो चुका है । लेकिन आज से दस वर्षो पूर्व में, तीन बड़े कमरों के साथ एक रसोईघर और एक स्नानघर था,  मेरा पूरा परीवार उसी घर में रहता था, घर में ही एक छतनुमा (जिसे हम वहां की भाषा में "कोठा" कहते थे) कमरा, जो भण्डारण हेतु उपयोग में लाया जाता था |  घर से बाहर की ओर आते समय एक बड़ा सा आँगन (जिसे हम ओसार कहते थे) था,  वह आँगन आज की तरह घुटन लिए हुए नहीं था, पुरी तरह से खुला हुआ था, ऊपर कोई छत नहीं थी, बस  उसके चारो ओर मिट्टी की एक ऊँची दीवार थी, जिससे बहार से कोई अन्दर देख ना सके|  आज भी वह सुख इन आरामदायक वातानुकूलित कमरों में भी हमें कभी नहीं मिला जो सुख हमें आँगन में मूंज से बनी हुई चारपाई में उस खुले आसमान के निचे खुले वातावरण में सोने पर मिलता था | आँगन में बांयी ओर एक अमरुद का पेड़ था, जिसके फल के स्वाद आज बाजार से लाये हुए फलो की तुलना में कई गुना मीठे और स्वादिष्ट हुआ करते थे | मै घर से निकलते ही आँगन में किसी को ना देख पेड़ पर चढ़ जाता था (क्योकी किसी सदस्य की मौजूदगी में ऐसा करना अपने लिए खतरे को बुलावा देने जैसा था), सिर्फ इस उम्मीद में की आज कोई पका हुआ फल खाने को मिलेगा, और पके हुए फल ना मिलने की दशा में भी कीसी अधपके फल को तोड़ लेते थे, उसका स्वाद इस तरह लेते थे, जैसे समुद्र मंथन के वक्त निकले पुरे अमृत इसी फल में समाये हो | उसके स्वाद में जो संतुष्टी थी, वो आज भी सफलता की उचाई पर चढ़ने के बाद भी नहीं है | लेकिन वह पेड़ जो वास्तव में सिर्फ एक पेड़ ना होकर हमारे परीवार का ही एक सदस्य था, हां, यह हो सकता है की बाकी सदस्य ऐसा ना भी मानते हो, लेकिन मै जब भी निराश या परेशान हुआ करता था, उसी पेड़ की टहनियों पर जाकर बैठ जाता था | और वह मुझे सांत्वना देती प्रतीत होती थी, एक माँ की भांती मुझे अपनी उस टहनी रूपी गोद में छुपा लेती थी | और मै उस पेड़ के सदस्य होने के कोई साक्ष्य तो नहीं दे सकता, या दलील नहीं दे सकता | लेकिन अगर आप उस नन्हे से बच्चे से दलील मांगेगे, जो बचपन में उसी की छाँव में खेला करता था, उसी के फल से अपनी भूख मिटाता था, और जिसके लिए वह पेड़ माँ सामान था, तो वह एक ऐसी कोशीश जरूर करेगा, और कहेगा - "घर में तो परीवार वाले ही रहते है, यह पेड़ भी तो घर में रहता है तो यह भी तो हमारे परीवार का एक सदस्य हुआ ना|" और सच ही तो कहा ना उस बच्चे ने | वह पेड़ हमारे परीवार सुख और दुःख दोनों समय हमारे साथ उसी तरह अटल खडा रहा, जैसे एक परीवार का सदस्य रहता | लेकिन किसे उस बच्चे की क़द्र थी, वही हुआ जो हमेशा से होता आया है | मानव रूपी दानव ने शहरीकरण की धुन में, आधुनिकता का हवाल देते हुए, उस मिट्टी के घर को अपने चकाचौंध सपनों तले रौद दिया, और उस पर अपने सपनो का महल खड़ा करना चाहा, जंहा अपनेपन जैसा कुछ भी न था | और मानवके उस स्वार्थ का शिकार हुआ वह पेड़ और वह बच्चा | उस विनाशकारी महल की शान हेतु जो बरामदा बनना था, उसके लिए उस पेड़ की बली जरूरी थी | उस बालक ने लाख कहा कि नहीं चाहिए उसे ऐसा बरामदा जो एक सजीव की जान ले ले, लेकिन उसकी आवाज को दबा दिया गया, और उसकी माँ की कब्र (उस पेड़) पर एक शानदार बरामदे का निर्माण कर दिया | आज लड़का भले ही बड़ा हो गया हो, क्या वह यह मंजर भूल पायेगा, जब उससे उसकी माँ उसके ही आँखों से सामने छीन ली गयी | वह लड़का तो आज भी निसहाय मानव के तांडव को देख रहा है, उस विनाश को देख रहा है, जो हरे-भरे गाँव को निगल ले रहा है, जो परीवार की खुशियाली को निगल ले रहा है | यह विकाश (विनाश) रूपी दानव इतना बड़ा हो चुका है की इसे ख़त्म करना असंभव सा लगता है, लेकिन बस सभी से प्रार्थना है की विकास किजीये लेकिन उस विकास से किसी बच्चे का बचपन ना छीने, किसी परीवार के टुकड़े ना हो, एक गाँव शहर (सहारा) ना बने | आज वही बच्चा अपनी माँ की ही कब्र पर बैठकर यह लेख लिख रहा है, और आज उसे यह दर सताने लगा है कि कही वह भी इसी विकास की दौड़ में चल पड़े | और जाने-अनजाने में किसी बच्चे से उसकी माँ छीन ले |


आज बस इतना ही, फिर मिलूंगा अपनी जिन्दगी के कुछ हिस्सों के साथ और कोशिश करूंगा उन्हें अपनी नजरो से देखने की, अगर आपने यह लेख पढ़ा हो तो अपने विचार जरूर लिखे |

धन्यवाद, शुभ संध्या |

ऋषभ शुक्ला

मेरे मन की / Mere Man Kee


आप मेरी कविताओं को अगर पढ़ना चाहे तो नीचे लिंक पर जाकर मेरे ब्लॉग पर पढ़ सकते हैं|
हिन्दी कविता मंच - https://hindikavitamanch.blogspot.com/

मेरी कहानियों को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें|
मेरे मन की - https://meremankee.blogspot.com/

मेरे यात्रा से संबंधित लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें|
घुमक्कड़ी दिल से - https://theshuklajee.blogspot.com/

फेसबुक - @theshuklaji और @theshuklajee
इंस्टाग्राम - @theshuklajii और @theshuklajee
ट्विटर - @theshuklajee
संपर्क करें - rushabhshukla8@gmail.com

आपका ब्लॉग पर आने के लिए आभार, हमारे मार्गदर्शन हेतु पुनः पधारें | क्योकी आपके आगमन से ही हमारे लेखन में उत्साह की वृद्धी होती है | धन्यवाद |

3 टिप्‍पणियां:

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

मर्मस्पर्शी पोस्ट

Rishabh Shukla ने कहा…

बहुत बहुत आभार मोनिका जी

Shivam shukla ने कहा…

बहुत ही शानदार दिल को छू जाने वाली कहानी

मेरे मन की

लेबल

अद्भुत संयोग इत्ती सी खुशी एक अनोखी प्रेम कहानी एक कहानी एक लड़का एक लड़की कसूरवार कौन ? कहानी किताब कोरोना वायरस खूबसूरत घुमक्कड़ी - मेरी नजर से चुनाव आ गया टीवी तबेले मे हिन्दू मुस्लिम पुस्तक बख्शीस बेचारे नेता जी महाशिवरात्री मासूमीयत मुर्ख राधेश्याम मूर्ख राधेश्याम मेरा गाँव मेरा घर मेरा परिवार मेरी जिंदगी मेरे दादाजी मेरे बारे में मेरे मन की राष्ट्रपती चुनाव विश्व चिट्ठा दिवस संघर्ष और विजय सर्व शिक्षा अभियान सहिष्णुता और असहिष्णुता स्वच्छ भारत अभियान स्वच्छ भारत मिशन A Boy A Girl A story About Me About My Life Adbhut Sanyog Amazing Coincidence An Extraordinary Love Story Bakhashis beautiful beauty bechare neta jee blog blogger blogging book China chunav aa gaya clean india campaign Corona Virus COVID-19 cute Death digital disease Education for All Movement Ek Anokhi Prem Kahani Ek Kahani Ek Ladka Ek Ladki election 2024 Election Has Arrived Foolish Radheshyam gift GIRL happiness happy Hindi Hindi Kavita Manch Hindu Muslim in Stable india Indian Leaders Innocence intolerance Italy Itti si khushi Jab Miya Bibi Raji To Kya Karega Kazi kahani Kasoorwar Kaun? Kavita khubsurat Leader lekh Maha Shivaratri Mahamari Masoomiyat Mera Gaon Mera Ghar Mera Parivaar Mere Dadaji mere man kee Meri Jandagi Meri Jindagi Mobile modi murkh radheshyam My Faimily My Grandfather My House My Life my new travel blog My Village nomadic online gatha phone photography poem poetry Political Party Politician Politics Poor Leaders President Election president of India Rashtrapati Chunav Reward Rishabh Shukla Sab Padhe Sab Badhe Sahishduta Aur Asahishduta Sangharksh Aur Vijay sarv shiksha abhiyan school chale ham Short Story SSA Story story of my life Struggle And Victory swachch bharat Tabele Me Hindu Muslim theshuklajee Tolerance Tolerance And Intolerance travel blog travelling TV Vishwa Chittha Diwas WHO Who is guilty? World Blogger's Day